काव्य गोष्ठी में नवोदित रचनाओ व कविताओ के सागर में डूबे श्रोता,हास्य कविताओ पर खूब लगे ठहाके
महराजगंज टाइम्स ब्यूरो:- साहित्य सभा महराजगंज की मासिक बैठक/काव्य-गोष्ठी,सभा के जिला संयोजक देवेश पांडेय के नगर स्थित आवास पर सोमवार को सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में कवि गोष्ठी के उपरांत जाने माने कवि , संचालक एवं साहित्य सभा उत्तर प्रदेश के संयोजक/प्रधान सर्वेश अस्थाना जी की धर्मपत्नी के आकस्मिक स्वर्गवास पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
गोष्ठी,साहित्य सभा के जिला अध्यक्ष डॉ परशुराम गुप्त की अध्यक्षता एवं जनपद के ख्यातिलब्ध साहित्यकार एवं प्रगतिशील लेखक संघ महराजगंज इकाई के महासचिव के एम अग्रवाल की उपस्थिति में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में समापन के समय जाने माने नवोदित रचनाकारों एवं कवियों ने अपनी कविताओं तथा गीत से समां बाँध दिया।कवि धीरज वर्मा ने सर्वप्रथम 'बचपन मे माँ के आँचल से बांध कर सोता था....'से सभी को भावुक कर दिया।कवि एस. कुमार ने 'आने वाले हैं शिकारी मेरे गांव में....' रचना से चुनावी मौसम पर प्रासंगिक गीत सुना कर सभी को सोचने को मजबूर कर दिया।युवा रचनाकार प्रिंस प्रजापति ने 'मेरे नौकरी के द्वार कब खुल जाएंगे...',निवास गुप्ता ने अपनी शानदार स्वरचित कविता'एक दुख क्या पाया हमने..',बड़ी डर से ये पैगाम लिख रहा हूँ.../आज फिर तुम्हें सलाम लिख रहा हूँ' सुना कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। तत्पश्चात शायर शिव कुमार ने 'ख्वाहिशों के चक्कर मे उलझा रहा मै इतना... ',नवोदित गायक मनोज मद्धेशिया ने ग़जल ' चांदी जैसा रूप है तेरा....,स्पर्श त्रिपाठी ने दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल ' हो गई है पीर पर्वत से पिघलनी चाहिए...' सुना कर मन मोह लिया। साहित्य सभा के कोषाध्यक्ष राजेश स्वर्णकार ने अपनी आशु रचनाओं से माहौल को खुशनुमा बना दिया'ले चल रहगुज़र उसके शहर/पाने उसकी नज़रों का मेहर...'सुना कर महफिल लूट ली।विष्णु जी ने ' बच्चे थे तो अच्छे थे/बड़े हुए तो गंभीर हो गए...',पंकज मौर्य ने अपनी स्वरचित हास्य कविता 'जो बुड्ढे खूसट नेता हैं/उनको गड्ढे में जाने दो...'उभरती युवा कवयित्री सरिता त्रिपाठी ने स्त्री विमर्श को समर्पित अपनी भाव प्रवण रचना'वाइफ की हस्बैंडरी कब बंद होगी.....' सुना कर सोचने पर विवश कर दिया।कवि दिव्यांश पांडेय ने अपनी धाराप्रवाह काव्य वाचन एवं संचालन से गोष्ठी में रोमांच पैदा कर दिया।बीसाहित्य सभा के सचिव राघवेश त्रिपाठी ने अपनी स्वरचित कविता 'अपने बेहतरीन की ख़ोज में...,
सभा के संयोजक देवेश पांडेय ने अपने खूबसूरत प्रासंगिक रचना को सस्वर गा कर 'खेल तमाशा भीड़ मदारी/जीवन की अद्भुत तैयारी...' सुना कर गोष्ठी को नई ऊंचाई प्रदान की। वरिष्ठ साहित्यकार के. एम अग्रवाल जी ने अपनी सुलगती रचना 'तुम बोलो तुम समझो/कि तुम्हारे बोलने में शक्ति है....' सुना कर अपने कर्तव्य के प्रति श्रोताओं को जागरुक किया। अंत मे सभा के अध्यक्ष डॉ परशुराम गुप्त जी ने अपनी उम्मीद से भरी एवं समाधान का मार्ग दिखती कविता 'नायक की तलाश' के माध्यम से सबके समक्ष प्रेम, सद्भाव,सामंजस्य के मध्यम शाश्वत मार्ग को रेखांकित किया।उनकी रचना ' क्या आप मे भविष्य के सपने देखने और उन सपनों को परवान चढ़ाने का साहस है......' ने एक आदर्श समाज की छवि सबके सम्मुख प्रस्तुत की। सभा का ऊर्जस्वित संचालन दिव्यांश पांडेय एवं आयोजन कुमार देवेश ने किया।
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